कोई नही होता जब...

कोई नही होता जब,छुप छुप के हम रो लेते है
पुछ बैठे कोई सबब तो,युही कुछ कह देते है
...
कोई नही होता जब,छुप छुप के हम रो लेते है

दिल को हम बहला भी ले
दुनिया को हम समझा भी दे
रात की क्यों गर्द छाव में
खुदको ही हम खो देते है
...
कोई नही होता जब,छुप छुप के हम रो लेते है

पतझड मे कोई एक पत्ता
धुँआ हो जाए तो क्या
जख्मों को अपने ही हम
अश्क बहाकर सी लेते है
...
कोई नही होता जब,छुप छुप के हम रो लेते है

--शब्दसखा!

1 प्रतिसाद:

*** Darshana *** said...

कोई नही होता जब,छुप छुप के हम रो लेते है
पुछ बैठे कोई सबब तो,युही कुछ कह देते है
...


khub kahi....